जब मई के पहले हफ्ते में देवत्व की अनुभूति होती है, तो 5 मई 2025 का दिन विशेष रूप से माताजी सीता के जन्मोत्सव, अर्थात् सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर भाग्यवर्धक समय, ग्रहों की उपस्थिति और नित्य कर्मों का महत्व समझना बेहद जरूरी है। प्रस्तुत ब्लॉग में आपके लिए उन सभी विवरणों को सरल भाषा में संकलित किया गया है, जिन्हें जानकर आप इस पर्व का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
वैशाख शुक्ल नवमी का महत्व
सुबह सात बजकर पैंतीस मिनट पर वैशाख शुक्ल नवमी तिथि आरंभ होती है और यह अगले दिन यानी 6 मई की सुबह आठ बजकर अड़तीस मिनट पर समाप्त होती है। नवमी तिथि में माता सीता के जन्मोत्सव का विशेष महत्व है। इस दिन उन्हें समर्पित पुष्प, धूप-दीप और जलाभिषेक से आराधना करने पर वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सोमवार का दिन और नक्षत्र परिवर्तन
5 मई का सोमवार दिन चंद्रमा अश्लेषा नक्षत्र में गोचर कर रहा है, जो दिन के करीब दो बजे तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद नक्षत्र परिवर्तन होकर मघा नक्षत्र का आरंभ होता है। अश्लेषा मणि देने वाला नक्षत्र माना जाता है, जबकि मघा मान-सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा की ओर संकेत करता है।
योग की स्थिति
रात्रि मध्यरात्रि से 12 बजकर 19 मिनट तक वृद्धि योग बना रहेगा। वृद्धि योग में किए गए शुभ कार्यों से फल की प्राप्ति में वृद्धि होती है। इसके पश्चात ध्रुव योग का संचरण होगा, जिसे स्थिरता और आत्मविश्वास का योग कहा जाता है।
चंद्र राशि विवरण
चंद्रमा सुबह से दो बजे तक कर्क राशि में रहेगा, जो संवेदनशीलता और आत्मीय संबंधों को मजबूत करता है। दो बजे के बाद चंद्रमा सिंह राशि में प्रवेश करता है, जो आत्मविश्वास और नेतृत्व गुणों को बढ़ावा देता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त
इस दिन सूर्योदय सुबह साढ़े पाँच बजे के लगभग होता है और सूर्यास्त शाम के करीब साढ़े छह बजे होता है। ये समय दैनिक आराधना और संध्याकालीन पूजा के लिए आधार प्रदान करता है।
मध्याह्न पूजा मुहूर्त
पूजा के लिए सर्वाधिक अनुकूल समय सुबह ग्यारह बजकर इकतालीस मिनट से दोपहर ढाई बजकर अट्ठाइस मिनट तक का माना गया है। इस अवधि में माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना करने से मनोबल एवं सौभाग्य में विशेष वृद्धि होती है।
राहुकाल, यमगण्ड और गुलिक काल
इस दिन तात्कालिक कार्यों से पूर्व राहुकाल का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जो सुबह साढ़े सात बजे से आठ बजकर अठहत्तर मिनट तक रहेगा। यमगण्ड काल सुबह दस बजकर अड़तीस मिनट से दोपहर बार बजकर अठारह मिनट तक रहेगा, जबकि गुलिक काल दोपहर साढ़े एक बजे से तीन बजकर अड़तीस मिनट तक रहेगा। इन समयों में नए कार्यों की शुरुआत टालना उत्तम माना जाता है।
शुभ योग और अनुकूल कार्य
वृद्धि योग के अलावा रवि योग जैसी अनुकूल योग स्थिति भी बन रही है, जिनमें गृह प्रवेश, वाहन खरीद, व्यापार के नए प्रोजेक्ट और विवाह संबंधी सभी गतिविधियों के लिए विशेष रूप से अनुकूलता होती है।
ग्रह स्थिति
– इस दिन ग्रहों की स्थिति निम्न प्रकार है
- सूर्य मेष राशि में रहेगा, जिससे जोश और ऊर्जा का संचार होता है
- चंद्रमा कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करता है, जिससे भावनात्मक दृढ़ता मिलती है
- मंगल कर्क राशि में स्थित रहेगा, जो साहस और साहसिक पहल की ओर इशारा करता है
- बुध मीन राशि में रहेगा, जिससे संवाद और लेखन कार्यों में निपुणता बढ़ती है
- गुरु वृषभ राशि में प्रभावी रहेगा, जो स्थिरता एवं आर्थिक वृद्धि का सूचक है
- शुक्र मीन राशि में रहेगा, जो सौंदर्य, कला और प्रेम संबंधी कार्यों को बल देता है
- शनि मीन राशि में रहेगा, जो संयम और आत्मनिरीक्षण का अवसर प्रदान करता है
- राहु मीन राशि में रहेगा, जो अचानक परिवर्तन और गूढ़ ज्ञान की ओर उन्मुख करता है
- केतु कन्या राशि में रहेगा, जो स्वास्थ्य और सेवा भाव को महत्व देता है
पूजा विधि और विशेष उपाय
माता सीता की पूजा हेतु सुगंधित पुष्प, सुहाग सामग्री एवं फल-फूल अर्पित करें। शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र अर्पित करना भी आवश्यक है। जाप हेतु ॐ नमः शिवाय उच्चारित करें। पूजन के पश्चात गंगाजल से स्नान कर अन्न-जल का दान जरूर करें। इससे ग्रहदोष नष्ट होते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
आज के वर्जित कार्य
इस दिन यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व दिशा की शुभता अवश्य जांचें। मांसाहार, मदिरापान या किसी भी प्रकार के नशे का सेवन वर्जित है। शिव पूजा में शंख का उपयोग भी टालें, क्योंकि यह पारंपरिक विधान के अनुरूप नहीं है।
इस सम्पूर्ण जानकारी के आधार पर आप 5 मई 2025 के दिन सीता नवमी का पर्व विधिपूर्वक मना सकते हैं। मंगलमय निर्णय और सफल आराधना के लिए पंचांग विवरण से मार्गदर्शन अवश्य लें।