जब जीवन में कोई कठिन दौर चलता हुआ प्रतीत हो, तब छोटी-छोटी तकलीफें भी बढ़कर दिखती हैं। ऐसी स्थिति में ग्रहों की चाल का बड़ा योगदान माना जाता है। खासकर वह समय, जब गरीब दशा, साढ़े साती या ढैय्या की परीक्षाएं चल रही हों, तो मन विचलित हो उठता है। ऐसे में एक विशेष अवसर आता है, जो आस्था और प्रयास दोनों को एक साथ जोड़कर राहत दिलाने का विश्वास जगाता है।
शनि का विशेष दिवस और उसका समय
इस वर्ष यह अवसर ज्येष्ठ अमावस्या के शुभ संयोग पर 27 मई 2025, मंगलवार को अवतरित हो रहा है। अमावस्या की रात्रि 26 मई दोपहर 12:11 बजे से आरंभ होकर 27 मई सुबह 8:31 बजे तक अपना प्रभाव बनाये रखेगी। यह समय उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिन पर साढ़े साती या ढैय्या का दबाव होता है, अथवा जिनकी कुंडली में शनि की महादशा चल रही हो। यह गृहदोष को शांत करने और मन की बेचैनी को दूर करने का सुन्दर अवसर प्रदान करता है।
उपायों से मिली राहत
छाया दान करना एक सरल परंतु प्रभावशाली कदम माना जाता है। लोहे या स्टील के बर्तनों में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना प्रतिबिंब देखने के बाद वह तेलबत्ता जरूरतमंद को अर्पित करें। पुराने ग्रंथों में उल्लेख है कि इससे शनि के प्रकोप में कमी आती है।
दान-पुण्य का महत्व
असहायों को काला तिल, काली उड़द, लोहे की चीजें, काले वस्त्र, स्टील के बर्तन अथवा छाता दान करने से भी दोष निवारण में मदद मिलती है। यदि संभव हो तो किसी जरूरतमंद को भोजन कराना भी उत्तम माना जाता है।
वृक्ष पूजा और परिक्रमा
पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीप प्रज्ज्वलित करके उसकी परिक्रमा करें। इसके साथ ही शमी के पुष्पों का अर्पण विशेष लाभकारी होता है। ऐसा करने से मन को शांति मिलती है और ग्रहदोष शांत होने का आभास होता है।
हनुमान भक्ति से सहायता
भगवान हनुमान की कृपा से भी शनि संबंधी बाधाएं कम हो जाती हैं। उस दिन हनुमान चालीसा एवं सुंदरकांड का पठान करें। निष्ठा पूर्वक पाठ करने से मनोबल बढ़ता है और अच्छे फल मिलते हैं।
पशु सेवा का महत्त्व
काले कुत्ते को सरसों के तेल लगी रोटी खिलाने से भी शनि-दोष से मुक्ति मिलती है। यह परंपरा पुराने समय से चली आ रही है और आज भी जबरदस्त राहत प्रदान करने में सहायक मानी जाती है।
आदर और सेवा
घर के वृद्धजनों का सम्मान एवं सेवा करके भी आप शनि ग्रह को प्रसन्न कर सकते हैं। शनि को वृद्धावस्था का स्वामी माना जाता है, अतः वृद्धजन का आशीर्वाद ग्रहदोषों का निवारण करता है।
मंत्र जाप और पाठ
इस अवसर पर निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाना अत्यंत फलदायक रहता है:
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः (शनि बीज मंत्र)
- ॐ शं शनैश्चराय नमः का 108 बार जाप
- शनि स्तोत्र या शनि चालीसा का नियमित पाठ
इन मंत्रों का उच्चारण मन की एकाग्रता बढ़ाता है और ग्रहों के विरुद्ध से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
अतिरिक्त उपाय
शनिवार का व्रत रखकर शनि ग्रह की विशेष पूजा करना शुभ रहता है। उस दिन काले या गहरे नीले वस्त्र धारण करना लाभकारी सिद्ध हुआ है। साथ ही अष्टधातु से निर्मित अंगूठी मध्यमा उंगली में धारण करने से भी ग्रह की कठोरता कम होती है।
निष्कर्ष
उपरोक्त सभी तरीके श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ अपनाने पर साढ़े साती, ढैय्या या महादशा की परीक्षाएं सहज हो सकती हैं। फिर भी यदि मन में संशय हो, तो किसी अनुभवी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करें। आस्था और प्रयास से जीवन के अँधेरे भी उजाले में बदल सकते हैं।