9 मई 2025 को बन रहा है दुर्लभ संयोग! जानिए कौन-कौन से व्रत देंगे अपार पुण्य और सौभाग्य

9 मई 2025 एक ऐसा दिन है जब हिन्दू धर्म के अनुयायी कई महत्वपूर्ण व्रत और उत्सवों का पालन और आयोजन करते हैं। इस दिन धार्मिक उन्नति, आध्यात्मिक शुद्धि और सांस्कृतिक गौरव सभी का संगम देखने को मिलता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि 9 मई 2025 को कौन-कौन से व्रत और उत्सव मनाए जाएंगे, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। यहाँ हम विस्तार से बताएंगे कि प्रत्येक व्रत का महत्व क्या है, कब से कब तक इनका समय रहता है, और इन्हें करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं।

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)

प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक विशेष उपवास है। यह व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी तिथि में मनाया जाता है और सूर्यास्त के करीब प्रारंभ होकर लगभग डेढ़ घंटे तक चलता है।

  • तिथि और समय
  1. दिनांक: 9 मई 2025, शुक्रवार
  2. तिथि: वैशाख शुक्ल त्रयोदशी
  3. प्रदोष काल: सूर्यास्त के समय से लगभग 1.5 घंटे तक
  • उद्देश्य और महत्व
  1. भगवान शिव की आराधना और स्मरण के माध्यम से आत्मा की शुद्धि होती है
  2. पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं
  3. शुक्रवार को आने वाला प्रदोष “शुक्र प्रदोष” कहलाता है, जो विशेष रूप से वैवाहिक सुख, सौभाग्य और भौतिक समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है
  • व्रत विधि
  1. दिन भर शुद्ध आहार ग्रहण करना और केवल फलाहार करना
  2. संध्या समय शिवलिंग पर जल, दूर्वा, बेलपत्र और धूप-अगरबत्ती अर्पित करना
  3. शिव पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप

परशुराम द्वादशी (Parashuram Dwadashi)

परशुराम द्वादशी भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम, की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व क्षत्रिय समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि परशुराम ने धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश का जो संदेश दिया, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

  • तिथि और समय
  1. दिनांक: 9 मई 2025, शुक्रवार
  2. तिथि: वैशाख शुक्ल द्वादशी
  3. द्वादशी तिथि समापन: दोपहर 2:56 बजे तक
  • उद्देश्य और महत्व

भगवान परशुराम के साहस, बल और धर्म की रक्षा के संकल्प को सम्मानित करना
क्षत्रिय समुदाय में कर्तव्यपरायणता और आत्मबल को बढ़ावा देना
धर्म के अटल सिद्धांतों के प्रति श्रद्धा और समर्पण

  • व्रत की साधना
  1. सुबह स्नान पश्चात सूर्य को जल अर्पित करना
  2. परशुराम अवतार कथा का पाठ और कीर्तन
  3. मध्यमाह्न में अन्नदान और भिक्षाटन

मोहिनी एकादशी पारण (Mohini Ekadashi Parana)

मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को रखा गया था और इसका पारण 9 मई को निर्धारित समय में किया जाता है। पारण न करने पर व्रत का लाभ कम हो सकता है, अतः समय का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।

  • पारण तिथि और समय
  1. दिनांक: 9 मई 2025, शुक्रवार
  2. पारण का आरंभ: सुबह 5:35 बजे
  3. पारण का अंत: सुबह 8:17 बजे
  • महत्व
  1. एकादशी का व्रत पूर्णता के लिए द्वादशी तिथि तक ही रखा जाता है
  2. पारण समय में खीर, फल एवं सूर्य नमस्कार या हवन द्वारा व्रत समाप्ति की रस्म पूरी होती है
  3. पारण कराने से व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है

महाराणा प्रताप जयंती (Maharana Pratap Jayanti)

धार्मिक व्रतों के साथ-साथ 9 मई 2025 महाराणा प्रताप जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन राजस्थान के महान योद्धा महाराणा प्रताप की वीरता और देशभक्ति को सम्मानित करने का अवसर है।

  • तिथि

दिनांक: 9 मई 2025

  • महत्व और आयोजन
  1. राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश
  2. मंदिरों और महलों में विशेष पूजा और आरती
  3. रैलियाँ, झांकियाँ और वीर विनोद कार्यक्रम
  4. बच्चे और युवाओं को महाराणा प्रताप की कथा सुनाई जाती है, जिससे देशभक्ति की भावना जागृत होती है

निष्कर्ष

9 मई 2025 का दिन हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति के कई पहलुओं का संगम है। प्रदोष व्रत और परशुराम द्वादशी से आध्यात्मिक उन्नति और धर्म की रक्षा का संदेश मिलता है, जबकि मोहिनी एकादशी पारण व्रत की पूर्णता सुनिश्चित करता है। साथ ही, महाराणा प्रताप जयंती हमें वीरता, साहस और देशभक्ति की प्रेरणा देती है।

यदि आप इन व्रतों और उत्सवों का पूर्णतः लाभ उठाना चाहते हैं, तो समय-निर्धारण तथा विधिवत पूजन-विधि का पालन अवश्य करें। इस विस्तृत ब्लॉग के माध्यम से आपको 9 मई 2025 के सभी महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन एक स्थान पर मिल गए हैं। इस जानकारी को अपने परिवार और मित्रों के साथ साझा करें, ताकि वे भी इन व्रतों और उत्सवों का सही समय पर आनंद ले सकें।

इन्हें अपनाकर आप न केवल पारंपरिक रीति-रिवाजों का सम्मान करेंगे, बल्कि अपने जीवन में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि भी लाएंगे।

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