जून 2025 का धार्मिक कैलेंडर: 5 ऐसे पवित्र रहस्य जिन्हें जानकर आप रह जाएंगे दंग

जून 2025 हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण और शुभ माह है। इस महीने में न सिर्फ गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है, बल्कि रथ यात्रा जैसी श्रृद्धायुक्त परंपराओं का भी आयोजन होता है। यदि आप धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेना चाहते हैं या अपने परिवार के साथ उत्सवों का आनंद उठाना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित होगा। यहाँ ऊपर दी गई जानकारी के आधार पर हम जून 2025 में होने वाले प्रमुख व्रत-उत्सव तथा उनके महत्व, तिथियाँ और पूजा विधियों को विस्तार से समझेंगे। साथ ही अन्य छोटे-मोटे व्रत-पर्वों की सूची भी शामिल है, ताकि आपको पूरा कैलेंडर एक ही जगह पर मिल जाए।

जून 2025 के प्रमुख धार्मिक आयोजन (मुख्य तिथियाँ और विवरण)

निचे दिए गए नंबर वाले बिंदुओं में हमने जून 2025 के प्रमुख पांच धार्मिक आयोजनों को रखा है, जिनकी तिथियाँ और महत्व ऊपर की जानकारी से ली गई हैं। इन आयोजनों में भाग लेकर आप अपने घर-परिवार तथा समाज में आध्यात्मिक अनुभव और पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

गंगा दशहरा – 5 जून, गुरुवार

  • तिथि और दिन: 5 जून 2025 (गुरुवार)
  • धार्मिक महत्व: गंगा नदी के अवतरण का स्मरण करने के लिए गंगा दशहरा मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश हो जाता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  • विशेष आयोजन: अयोध्या में राम मंदिर परिसर में 14 नए मंदिरों का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगा। इस अवसर पर मंदिरों की पूजा-अर्चना और धार्मिक आयोजन किए जाएंगे, जिनसे श्रद्धालुओं को विशेष लाभ प्राप्त होगा।
  • पूजा विधि (संक्षिप्त):
    • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • गंगा नदी के तट पर जाकर गंगाजी की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें।
    • दीपक जलाकर दान-पुण्य करें।
    • गंगा माता को गंध, पुष्प, अक्षत (चावल) आदि अर्पित करें।

निर्जला एकादशी – 6 जून, शुक्रवार

  • तिथि और दिन: 6 जून 2025 (शुक्रवार)
  • धार्मिक महत्व: निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस व्रत में उपवासी को एक दिन के लिए भोजन के साथ-साथ जल का त्याग भी करना होता है। जिस प्रकार से विष्णु भगवान की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है, ठीक उसी प्रकार से इस व्रत को करने से समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • पूजा विधि (संक्षिप्त):
    • सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
    • पूरा दिन निर्जला रहकर भजन-कीर्तन या ध्यान लगाएँ।
    • शाम को ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और दान-पुण्य करें।
    • एकादशी का व्रत संध्याकाल में ब्राह्‌मण को भोजन देकर समापन करें।

वट सावित्री पूर्णिमा – 10 जून, मंगलवार

  • तिथि और दिन: 10 जून 2025 (मंगलवार)
  • धार्मिक महत्व: वट सावित्री पूर्णिमा में सावित्री के व्रत का अनुसरण किया जाता है, जो पतिव्रता धर्म की प्रतीक थीं। इस व्रत में महिलाएँ वटवृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा कर अपनी पतियों की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं।
  • पूजा विधि (संक्षिप्त):
    • सुबह उगते सूरज के साथ स्नान करके सफेद या पीले वस्त्र धारण करें।
    • वटवृक्ष के नीचे बसेरा लेकर उसके छाल पर गिरने वाले पत्तों को छूए बिना वृक्ष की पूजा करें।
    • सावित्री और सत्य की कथा सुनें या स्वयं पढ़ें।
    • सूर्योदय से पहले सूर्यास्‍तम तक व्रत का पालन करें और शाम को वृक्ष के आधार में स्नान कर अर्पण दें।

ज्येष्ठ पूर्णिमा (संत कबीर जयंती) – 11 जून, बुधवार

  • तिथि और दिन: 11 जून 2025 (बुधवार)
  • धार्मिक महत्व: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन संत कबीर महाराज की जयंती भी मनाई जाती है। संत कबीर 15वीं सदी के समाज सुधारक, कवि एवं संत थे, जिन्होंने भक्ति, मानवता और सामाजिक एकता का उपदेश दिया। इस दिन भक्तजन कबीर की पुण्यतिथि पर उनकी वाणी का स्मरण करते हुए ध्यान, कीर्तन और समाज सेवा में हिस्सा लेते हैं।
  • पूजा विधि (संक्षिप्त):
    • सुबह साधारण स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • कबीर साहेब के चित्र या संतों के सम्मिलित स्थान पर उनकी मूर्ति की पूजा करें।
    • कबीर के दोहे, श्लोकों का पाठ करें।
    • जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें।

रथ यात्रा (जगन्नाथ रथ यात्रा) – 27 जून, शुक्रवार

  • तिथि और दिन: 27 जून 2025 (शुक्रवार)
  • धार्मिक महत्व: जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी (ओडिशा) में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा विश्वभर में प्रसिद्ध है और लाखों श्रद्धालु रथ खींचने तथा दर्शन करने के लिए उपस्थित होते हैं। पुरी की रथ यात्रा में भाग लेने से जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है।
  • पूजा विधि (संक्षिप्त):
    • यात्रात्रा से पूर्व रात में संध्या आरती में सम्मिलित हों।
    • सुबह रथ निकासी के समय रथ के पास जाकर प्रार्थना करें।
    • स्वयं रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त करें या रथ की रस्सा पकड़कर पुण्य लीजिए।

जून 2025 के अन्य महत्वपूर्ण व्रत-पर्व (दिनांकवार सूची)

निम्नलिखित तालिका या बुलेट बिंदुओं में उन अन्य व्रत-पर्वों को शामिल किया गया है, जिनका महीना जून 2025 में विभिन्न तिथियों को आयोजन है। इनका विवरण संक्षिप्त रूप से दिया गया है ताकि पूरे महीने का पंचांग आपको मिल जाए:

  • 1 जून 2025: स्कंद षष्ठी
  • 3 जून 2025: धूमावती जयंती एवं मासिक दुर्गाष्टमी
  • 4 जून 2025: महेश नवमी
  • 8 जून 2025: रवि प्रदोष व्रत
  • 9 जून 2025: वैकासी विशाखम
  • 14 जून 2025: संकष्टी चतुर्थी
  • 15 जून 2025: मिथुन संक्रांति एवं फादर्स डे
  • 18 जून 2025: कालाष्टमी एवं मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
  • 21 जून 2025: योगिनी एकादशी एवं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
  • 23 जून 2025: मासिक शिवरात्रि एवं सोम प्रदोष व्रत
  • 24 जून 2025: आषाढ़ अमावस्या
  • 25 जून 2025: गुप्त नवरात्रि आरंभ
  • 26 जून 2025: चंद्र दर्शन
  • 28 जून 2025: गणेश चतुर्थी
  • 30 जून 2025: स्कंद षष्ठी (पुनरावृत्ति)

इस सूची में जून के प्रत्येक दिन किसी न किसी धार्मिक आयोजन या व्रत से जुड़ा हुआ है। यदि आप अपनी दिनचर्या में कुछ खास पुण्यकर्म करने का प्रयास कर रहे हैं, तो इन तिथियों को ध्यान रखें और उन अवसरों का पूरा लाभ उठाएँ।

पूजा-पद्धतियों का महत्व और सरल विधियाँ

नीचे दिए गए बिंदुओं में हमने प्रमुख आयोजनों की पूजा पद्धतियों को संक्षेप में प्रस्तुत किया है। इन विधियों का पालन करके आप अपने घर पर भी विधिपूर्वक उत्सव मना सकते हैं और परिवार में जहमत से धार्मिक वातावरण बना सकते हैं।

गंगा दशहरा की पूजा-विधि

  • सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र पहनें।
  • नदी के तट पर गंगा माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • दीपक, दियो, गंध, पुष्प, अक्षत (चावल) और मौली अर्पित करें।
  • दान-पुण्य में गंगाजल, फल, वस्त्र, भोजन आदि का वितरण करें।
  • शाम को अष्टमी गीत या कीर्तन सुनें और मंत्रोच्चारण करें।

निर्जला एकादशी की पूजा-विधि

  • एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
  • विष्णु जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर पंचोपचार पूजन करें।
  • पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हुए भजन-कीर्तन या ध्यान लगाएँ।
  • शाम को ब्राह्मणों को भोजन और जल प्रदान कर व्रत समाप्त करें।

वट सावित्री पूर्णिमा की पूजा-विधि

  • सुबह उठकर स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
  • वटवृक्ष के नीचे पूजा की थाल रखें, जिसमें रोली, करकरी (चावल), पुष्प, अक्षत और दीपक हो।
  • सावित्री की कथा का पाठ करें और पति की दीर्घायु कामना करें।
  • शाम को वटवृक्ष के तने को पानी अर्पित करें और भोजन ग्रहण करके व्रत पूरा करें।

ज्येष्ठ पूर्णिमा (संत कबीर जयंती) की पूजा-विधि

  • सुबह उठकर साधारण स्नान करें।
  • कबीर साहेब का चित्र या संत समागम स्थल पर पूजा करें।
  • कबीर के दोहे और श्लोक का पाठ करें, जो जीवन में मानवता और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को खाना, कपड़े और साधन दान करें, जैसा कि संत कबीर ने अपने जीवन में उपदेश दिया था।

रथ यात्रा (जगन्नाथ रथ यात्रा) की पूजा-विधि

  • रथ यात्रा के दिन सुबह रथ निकलने से पहले मंदिर में दर्शन करें।
  • अपने हाथ में रस्सा पकड़कर रथ खींचने का प्रयास करें, इससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • रथ के चारों ओर भजन-कीर्तन और बजन (ढोल, झांझ) की लय में भाग लें।
  • यात्रा के पश्चात् दान करें या प्रसाद चढ़ाएं।

निष्कर्ष

जून 2025 हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए एक बेहद समृद्ध और पुण्यसाधक माह सिद्ध होगा। चाहे आप गंगा दशहरा के पावन स्नान में हिस्सा लें, निर्जला एकादशी का फार्म भी करें, वट सावित्री की कथा सुनकर पत्नी की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें, संत कबीर की जयंती पर समाज सेवा में भाग लें या रथ यात्रा का आनंद उठाएँ—हर आयोजन अपनी एक अद्भुत छाप छोड़ता है। इसके अलावा, महीने भर चलने वाले छोटे-बड़े व्रत-पर्व, जैसे स्कंद षष्ठी, धूमावती जयंती, महेश नवमी, रवि प्रदोष, वैकासी विशाखम, संकष्टी चतुर्थी, मिथुन संक्रांति, कलाष्टमी, मासिक शिवरात्रि, आषाढ़ अमावस्या, गुप्त नवरात्रि, चंद्र दर्शन, गणेश चतुर्थी और पुन: स्कंद षष्ठी, आपके आध्यात्मिक जीवन को और समृद्ध बनाएंगे।

इन तिथियों को ध्यान में रखते हुए आप अपने परिवार, मित्रों और समाज के साथ मिलकर धार्मिक उत्सवों में शामिल हों और पुण्य लाभ प्राप्त करें। इस ब्लॉग में दी गई जानकारी के आधार पर आप अपना जून 2025 धर्म-कैरेंडर तैयार कर सकते हैं और हर व्रत-उत्सव का विधिपूर्वक आयोजन घर पर या यात्रा के दौरान कर सकते हैं। यदि आपको किसी विशेष आयोजन के बारे में और जानकारी चाहिए, पूजा का मुहूर्त जानना हो, या किसी स्थान पर होने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत सूची चाहिए, तो आप कमेंट कर पूछ सकते हैं। इससे आपको आत्मिक शांति के साथ-साथ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी मिलेगी।

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