नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन देवी के अलग-अलग स्वरूप का पूजन किया जाता है। पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है, जो भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है, उनकी विशेषताओं के बारे में, और इस दिन की पूजा-विधि में शामिल मुख्य चरणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मां स्कंदमाता का परिचय
मां स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्हें मातृत्व, प्रेम और वात्सल्य का प्रतीक माना जाता है। उनकी मूर्ति में शुभ्र वर्णता, सिंह पर सवारता और कमल के आसन पर विराजमान होने के गुण दिखाई देते हैं। इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता के चार भुजाओं में से दो हाथों में कमल पुष्प, एक हाथ में भगवान स्कंद की प्रतिमा और एक हाथ में अभय मुद्रा प्रदर्शित होती है, जिससे उनकी शक्तियाँ और आशीर्वाद स्पष्ट होते हैं।
पूजा विधि: एक विस्तृत मार्गदर्शिका
- स्नान और स्वच्छता: पूजा से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शारीरिक एवं मानसिक शुद्धि के लिए अनिवार्य है।
- मूर्ति या चित्र स्थापना: पूजा स्थल पर मां स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। स्थापना के समय गंगाजल से शुद्धिकरण करना चाहिए ताकि वातावरण पवित्र हो जाए।
- संकल्प ग्रहण: पूजा के आरंभ में व्रत और पूजा का संकल्प लें। यह संकल्प आपको नवरात्रि के दौरान आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ता है।
- पूजन सामग्री का चयन: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग करें:
- लाल या पीले फूल
- कुमकुम और चंदन
- हल्दी, सिंदूर और दुर्वा
- बिल्वपत्र
इन सभी सामग्री को मां स्कंदमाता को अर्पित करें।
- भोग अर्पण: पूजा में भोग के रूप में केले या केसर युक्त खीर अर्पित किया जाता है, जो मां स्कंदमाता को प्रिय हैं।
- मंत्र जाप: पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप किया जा सकता है:
“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥”
- आरती एवं प्रसाद वितरण:
पूजा का समापन मां की आरती उतारने और प्रसाद वितरण के साथ करें। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
पूजा का आध्यात्मिक महत्व
मां स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को न केवल मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि उन्हें बुद्धि, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायता मिलती है। विशेषकर संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मां स्कंदमाता की कृपा से घर में सकारात्मक ऊर्जा, प्रेम और सौभाग्य का वास होता है।
समापन विचार
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व हमें यह सिखाता है कि मातृत्व की शक्ति, प्रेम की अपारता, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए स्वयं को तैयार करना आवश्यक है। इस दिन की पूजा न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती है बल्कि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक माध्यम भी बनती है।