कोई शत्रु नहीं टिकेगा माँ बगलामुखी जयंती 2025 पर इन रहस्यमयी मंदिरों से बदल सकती है किस्मत

Baglamukhi जयंती का भव्य उत्सव वर्ष 2025 में वैशाख शुक्ल अष्टमी, अर्थात् 5 मई को मनाया गया। यह दिन अपने साथ आश्चर्यजनक शांति और उर्जा का अनुभव लेकर आता है। मान्यता है कि इस दिन देवी बगलामुखी का अवतरण हुआ था, जब उन्होंने भक्तों की व्यावहारिक समस्याओं और बाधाओं का नाश कर विजय प्रदान करने का वचन लिया। दस महाविद्याओं में से एक पीताम्बरा देवी के रूप में वे विशेष रूप से प्रख्यात हैं, क्योंकि उनकी उपासना से न केवल शत्रु पर विजय मिलती है, बल्कि जीवन में आने वाली हर चुनौति सहजता से पार हो जाती है।

जयंती का महत्व और पौराणिक कथाएँ

वैशाख मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी को यह पर्व आता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार उन्होंने अपने मुख से शत्रुता की भाषा और नकारात्मक शक्तियों को मुँहबंद करके भक्तों को विजय का वरदान दिया। पीले वस्त्रों में सजी, पीले पुष्पों से अलंकृत और वह बीज मंत्र—“ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा”—के उच्चारण से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शत्रु बाधा, मुकदमेबाजी, भय और रोगों से निजात पाने के लिए यह उपासना अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

दतिया का पीताम्बरा पीठ

मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित पीताम्बरा पीठ बगलामुखी की सबसे प्रसिद्ध उपासना स्थली है। पूज्य स्वामी जी द्वारा 1920 के दशक में स्थापित इस केंद्र पर बगलामुखी के साथ धूमावती, हनुमान और काल भैरव के मंदिर भी संलग्न हैं। यहां प्रत्येक शनिवार को श्रृद्धालुओं की कतार लगी रहती है क्योंकि वे देवी की विशेष अनुकम्पा के लिए आते हैं। साधक यहां ध्यान और साधना के माध्यम से आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करते हैं और जीवन में नई दिशा पाते हैं।

नलखेड़ा का शक्तिपीठ

शाजापुर जिले के नलखेड़ा में बगलामुखी का यह मंदिर तांत्रिक साधना के लिए विख्यात है। यहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु विशेष अनुष्ठानों के दौरान देवी के सम्मुख अपनी प्रतिबद्धता निभाते हैं। पीले पुष्प और पीले वस्त्रों से सज-धज कर भक्त यह मानते हैं कि देवी की कृपा से वे कठिन से कठिन समस्याओं से भी पार पा सकते हैं। यह स्थल अपनी शक्तिशाली ऊर्जा के कारण देशभर में सम्मानित है।

कांगड़ा की बांखंडी मूर्ति

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बांखंडी मंदिर अपनी स्थापत्य कला और पौराणिक महत्व के लिए विख्यात है। कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण के परास्त करने के लिए यहीं हवन किया था और पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात्रि में इसकी निर्मिति की। नवरात्रि के अवसर पर विशेष कर यहां अनुष्ठान और भंडारे आयोजित होते हैं, जिनमें भक्त बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं और देवी की शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

शिवमपेट की पवित्र उपासना

तेलंगाना के शिवमपेट में स्थित बगलामुखी शक्तिपीठ दक्षिण भारत में उपासना का प्रमुख केंद्र है। यहां की हर रौनक भक्तों की निरंतर आस्था और उत्साह को प्रतिबिंबित करती है। पीले रंग की शोभा में सजी यह स्थली विशुद्ध ऊर्जा का निर्माण करती है, जहां आने वाले हर व्यक्ति को देवी की अनंत करुणा का अनुभव होता है।

नेपाल के पटान का मंदिर

नेपाल के पटान शहर में तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर अपनी विशिष्ट परंपराओं के कारण श्रद्धेय है। यहां के साधक और पुजारी बीज मंत्र के उच्चारण में निपुण हैं, जिससे देवी की सिद्धि प्रकट होती है। दूर-दराज से आने वाले भक्त यहां जाकर मनोकामनाएं पूरी होने की आशा लिए लौटते हैं।

विधि और सामग्री

पूजा के समय पीले वस्त्रों का चयन किया जाता है। मंडप को पीले पुष्पों और पीले आसन से सजाया जाता है। आगत भक्त देवी के समक्ष दीपक, अगरबत्ती, कपूर और घृत के दीये अर्पित करते हैं। मंत्र जाप के पूर्व शुद्ध चन्दन और पीताम्बर कपड़े की स्थापना अनिवार्य है। भोग में हल्दी, केसरयुक्त प्रसाद और पीले रंग के प्रसाद शामिल होते हैं, जिन्हें देवी प्रसन्नता से स्वीकारती हैं।

आराधना के लाभ

इस उपासना से न केवल बाह्य शत्रु नष्ट होते हैं, बल्कि आंतरिक द्वन्द्व और उत्साहहीनता भी समाप्त होती है। जीवन में आने वाली कानूनी, शैक्षिक या व्यावसायिक अड़चनें भी सहजता से दूर होती हैं। भय, रोग और नकारात्मक विचारों का अंत होता है तथा आत्मविश्वास का विकास होता है।

यात्रा और व्यवस्था

इन मंदिरों तक पहुंचने के लिए आप सड़क मार्ग का सहारा ले सकते हैं। दतिया और नलखेड़ा मध्य प्रदेश के प्रमुख मार्गों से जुड़े हैं, जबकि बांखंडी व शिवमपेट के लिए निकटतम हवाई और रेल परियोजनाएं उपलब्ध हैं। नेपाल के पटान के लिए पासपोर्ट अनिवार्य है एवं बैकअप यात्रा दस्तावेज साथ रखना सहजता के लिए उपयोगी है।

अंत में यदि आप इस वर्ष उस दिव्य ऊर्जा का अनुभव करना चाहते हैं, तो तय समय पर इन तीर्थस्थलों की यात्रा करें, साधना में मन लगाएं और देवी के आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक बदलाव का स्वागत करें।

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