Operation Sindoor: भारतीय संस्कृति में सिंदूर का अनूठा स्थान है

भारतीय संस्कृति में सिंदूर का अनूठा स्थान है। यह केवल विवाहित महिलाओं के सुहाग का प्रतीक नहीं बल्कि हमारे सांस्कृतिक गौरव, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है। इसी सांकेतिक शक्ति को ध्यान में रखते हुए भारतीय वायुसेना ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर नामक एक निर्णायक अभियान अंजाम दिया। इस ब्लॉग में हम उस घटना की पूरी कहानी, नाम के पीछे का मायना और सैन्य कार्रवाई के प्रमुख पहलुओं को विस्तार से जानेंगे।

नाम का सांकेतिक महत्व

सिंदूर भारतीय परंपरा में सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने अपने पति भगवान शिव के प्रति प्रेम और निष्ठा का प्रतीक स्वरूप सर्वप्रथम मांग में सिंदूर लगाया था। इस निर्णय ने सिंदूर को वैवाहिक प्रमाण के साथ-साथ सौभाग्य का प्रतिनिधि बना दिया। ऑपरेशन सिंदूर के नाम में भी यही भाव समाया है। यह नाम उन सभी महिलाओं को समर्पित है, जिनका सुहाग आतंकियों के हिंसक हमले से छिन गया। इस नाम के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि भारत की सभ्यता और संस्कृति पर हमला करने वालों का नामोनिशान मिटा दिया जाएगा।

पीहलगाम हमला और बदले की आवश्यकता

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पीहलगाम में हुए निर्दोष नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी ने पूरे देश को झकझोर दिया। उस दिन 26 मासूमों की अनियंत्रित क्रूरता के कारण जान गई और करोड़ों दिल टूट गए। इस कत्लेआम ने न केवल पीड़ित परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई, बल्कि राष्ट्रीय आत्मा को भी ठेस पहुंचाई। ऐसी घातक घटना के बाद भारतीय सशस्त्र बलों के लिए बदला लेना अनिवार्य हो गया था, ताकि दोषियों को न्याय मिल सके और आतंकवाद के विरुद्ध एक स्पष्ट संदेश भेजा जा सके।

सैन्य अभियान का विवरण

6 और 7 मई 2025 की मध्यरात्रि में भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। इस अभियान की खास बात यह थी कि इसमें छह ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई हुई। चार आतंकी अड्डे पाकिस्तान के अंदर करीब सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित थे, जबकि पांचवां ठिकाना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में था। इन सभी ठिकानों पर सिंधु नदी घाटी में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन सदृश समूहों के आतंकियों का जमावड़ा था। उन्नत स्थिति की मदद से वायु सेना ने बिना किसी नागरिक हानि के करीब 90 आतंकियों को समाप्त कर दिया। ऑपरेशन की सफलता ने यह दर्शाया कि हमारी सेना उच्चतम स्तर पर भी बुद्धिमत्ता और परिशुद्धता के साथ कार्य कर सकती है।

राष्ट्रीय आत्मा का संदेश

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य जवाब नहीं था, बल्कि एक सांकेतिक कदम भी था। सिंदूर की तरह ही, जिसने सुहागिन महिलाओं को अपार सम्मान और शक्ति देता है, इस अभियान ने भारत के साहस, आत्मविश्वास और सामूहिक एकता का परिचय दिया। आतंकवाद के विरुद्ध हमारी प्रतिबद्धता अडिग है, और हमारी संस्कृति, हमारे परिवार और हमारी राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए हम किसी भी हद तक जाने को तत्पर हैं। इस नाम ने यह भी प्रमाणित किया कि भारतीय सेना न केवल तकनीकी कौशल में निपुण है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव और सम्मान के स्तर पर भी जनता की उम्मीदों पर खरी उतरती है।

निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर ने राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक भावनाओं का आदर भी कायम रखा। जिस प्रकार सिंदूर एक महिला के जीवन में नए आदर और शक्ति का संचार करता है, उसी प्रकार यह अभियान भी हमारे सैनिकों के साहस और अनुशासन का प्रतीक बना। आतंकवाद के खात्मे हेतु यह अभियान यादगार रहेगा और आने वाले समय में हमारी रक्षा नीति के मार्गदर्शक सिद्धांतों को और मजबूत करेगा।

Leave a Comment